Tuesday, April 1, 2008

ऐ गनपत, चल दारू ला

हम लोग काफी दिनों से एक फिल्मी गाना सुन रहे ने फ़िल्म का नाम है " सूट आउट एट लोखंडवाला" गाने के बोल है "" ऐ गनपत चल दारू ला... कुछ सोडा वोडा दे न यार ... गाना ऐसा कि सुन कर ऐसा लगता है की इस् फिल्मी गाने को अपने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अम्बुमणि रामादौश को पता नही है या फ़िर उनका लक्ष्य केवल फिल्मो मे सिगरेट न पीने तक ही सीमित है या फ़िर शायद वे अपने नशा मुक्ति कार्यक्रम से इसे दूर ही रक्खा है । अपुन को तो मालूम नही कि अम्बुमणि और फ़िल्म वालो मे कुछ सेटिंग होगी ?
आश्चर्य तब होता है जब गली के बच्चो द्वारा यह गाना गाते हुए सुना जाता है । तब हद हो जाती है जब किसी किसी के मोबाइल रिंग टोन मे यह गाना सुनने को मिल जाता है इस गाने को सुन कर पियककड कि दारू कि प्यास बढ़ जाती होगी, उसका दारू पीने का मन करता होगा, अगर पी लेते होंगे तो सुबह उठने का जी नहीं करता होगा, शाम को पी लेने पर सुबह पछतावा होता होगा, क्यों डिग गया, शरीर की चिंता नही, घर-परिवार की चिंता नहीं, कैरियर की चिंता नही, कब सुधरोगे । रोज तो सोचते हो लेकिन शाम को अनिर्णय की स्थिति मे पहुंच कर दारू हलक के निचे उतार ही लेते हो ।
गनपत चल दारू ला.... ! आज कल हमारा बुद्धू-बक्सा अब बुद्धू नही रहा वहां तमाम मनोरंजन के चैनल शुरू हो गए है जो कि हमारे ड्राइंग रूम मे बुजुर्ग एवं बच्चों मे बिना फर्क किए बजते चले जा रहे है शर्म तब आने लगती है जब गाने की वो पक्ति " माधुरी दीक्षित हो या हो ऐश्वर्या रॉय जाए जहाँ मर्जी साली जा के मराए" क्या इस गाने पूरे परिवार के साथ बैठ कर सुना जा सकता है, क्या यही मनोरंजन है, क्या यह अश्लील नही है, आखिर सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी क्या है ? मुझे उम्मीद है की मेरे कट्टर बेवड़े भाई मेरी इस गुस्ताखी को माफ़ करेंगे मेरे आर्टिकल का आशय उनके दिल को दुखाना नही है क्योकि वो तो दिल से दारू पिटे है, हम तो हमारे स्वास्थ्य मंत्री को इस गाने की विशेषता से रूबरू कराना चाहते है जिनको फिल्मों मे केवल सिगरेट दिखती है ।

No comments: